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सुनो प्रिय !!!.. लोग इश्क में ‘शायर’ होने की बजाय ‘शहर’ हो रहे हैं |

भटकन का आदर्श
भटकन का आदर्श
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सुनो प्रिय ,
तुम्हारा ख्याल मेरे ख्यालों की चौखट का सबसे कीमती पर्दा है | वक्त की नाजुक बुनावट से बना एक ऐसा झीना पर्दा, जिससे मेरा हर ख्याल होकर गुजरता है |मेरे राजीव चौक से जीवन में तुम इंद्रप्रस्थ बन कर आई हो | समय के समुंदर में एक ज्वार आया था |मन की रेत पर एक आकृति उभरी थी |यकीन मानो प्रिय !!!उसकी बनावट के स्केच तुमसे मैच होते हैं | तुम्हारा एहसास मेरे वजूद की परफ्यूम बन गया है |मैं हर पल महकने लगा हूँ | नजर के सामने आये हर इंसान को रोक कर प्यार करने का मन होता है | सोचता हूँ , सबके लबों पर एक मुस्कान चिपकाता हुआ उसके कान में बोलूं ..”तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना हो” |
हमारे समय का इश्क शब्दों की त्रासदी से होकर गुजर रहा है | सोशल मीडिया की इमोजीयों ने शायरियों को बेदखल कर दिया है |हम मोहब्बत को जी कम रहे हैं ,बक ज्यादा रहे है | लोग इश्क में ‘शायर’ होने की बजाय ‘शहर’ हो रहे हैं |मोहब्बत सिर्फ आई लव यू बोल देना भर नहीं है |वेलेंटाइन होना नहीं है |साथ रहना भी नहीं है | मोहब्बत वक्त के साथ चलते हुए ‘मैं और ‘तुम’ का ‘हम’ हो जाना है | शून्य में भटकती दो बेताब रूहों का मिल जाना है | कुछ भी बोलने का इंतज़ार मत करना |बस एहसास करना | इश्क एक साधना है प्रिय !! जिस दिन बेजानियत भी प्यारी लगने लगे, समझो तुमने मोहब्बत में एक मुकाम हासिल कर लिया है |
मेरा अपना ‘आप’ तुम्हारे ‘तुम’ जैसा है इसीलिए मैने अपना ‘आप’ तुम्हे सौंप दिया है | तुम अपना ‘तुम’ मुझसे भी सलामत रखना |अगर हमारा वजूद कोई कविता होता तो ‘मेरापन’ उस कविता का सबसे कीमती लब्ज होता | इश्क -ए- इकरार को या आधार कार्ड के नाम पर सरकार को इसे यू ही नहीं दे देना चाहिए |
सुनो प्रिय !! मैं एक सफर पर निकला था |वो सफर अब खत्म होने वाला है | मैं किसी शाम की तरह ढल रहा हूँ |शहर की शामें अजनबी होती है |क्या पता, वो शामें किसी रोज मुझे भी अजनबी बना दें |सूरज का अकेला यूं ही अस्त हो जाना मुझे रुला जाता है |
किसी रोज उसके साथ मुझे भी अस्त होना होगा | तुम परेशान मत होना प्रिय | तुम्हारे जहन के सबसे खूबसूरत हिस्से में मैं यूं ही धड़कता रहूँगा |
तुम्हारा “तुम”
(यह खत एक काल्पनिक रचना है )
आशुतोष तिवारी
भारतीय जन संचार संस्थान

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